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रक्षाबंधन | Raksha Bandhan in Hindi

रक्षाबंधन | Raksha Bandhan in Hindi

raksha bandhan 2018

लीजिए, श्रावण का मास आ ही गया । वर्षा की रिमझिम, बिजली की चमक तथा काले-कजरारे बादलों की घोर गर्जना आप सुन लीजिए । वर्षा की बूँदों ने सूखी-प्यासी धरती की प्यास बुझाकर उसके चल को हरा-भरा कर दिया है ।
हरे-भरे पेड़-पल्लव शीतल मंद समीर के झोंकों के साथ झूम रहे हैं । जिधर दृष्टि डालिए, हरियाली-ही- हरियाली दृष्टिगत होती है । पपीहा की मधुर ध्वनि भी सुनाई पड़ रही है और दादुर अपना राग अलग ही अलाप रहे हैं । इस मोहक वातावरण में ऐसा कौन शुष्क-हृदय प्राणी होगा, जिसका मन-मयूर आनंद और उल्लास से नृत्य न कर उठे ।
इसलिए हिंदुओं के लिए संपूर्ण श्रावण मास ही ‘त्योहार का मास’ है । हरियाली तीज, नागपंचमी, शिवकोटी आदि त्योहार इसी मास में मनाए जाते हैं । ‘रक्षाबंधन’ इस मास का सबसे महत्त्वपूर्ण और लोकप्रिय त्योहार है । यह ‘श्रावण पूर्णिमा’ को मनाया जाता है । जन-साधारण में इसका प्रचलित नाम ‘राखी’ है । वर्ण-व्यवस्था के अनुसार यह त्योहार ब्राह्मणों का है ।
अन्य हिंदू त्योहारों की भाँति ‘रक्षाबंधन’ के विषय में भी एक पौराणिक कथा प्रचलित है कि जब एक बार दैत्यों ने इंद्र पर विजय प्राप्त कर ली थी तब इंद्राणी ने श्रावणी पूर्णिमा के दिन ब्राह्मणों से इंद्र के हाथ में ‘रक्षासूत्र’ बँधवाया था । फलस्वरूप इंद्र युद्ध में विजयी हुए । उसी दिन की पवित्र स्मृति में ‘रक्षाबंधन’ का त्योहार मनाया जाता है ।
पौराणिक तथा धार्मिक महत्त्व के अतिरिक्त इस त्योहार का सामाजिक महत्त्व भी है । भारतवर्ष में ही नहीं वरन् संसार भर में भाई-बहन का स्नेह अत्यधिक पावन माना गया है । इसी पवित्र स्नेह के नाते प्रत्येक भाई का कर्तव्य होता है कि वह अपनी बहन की रक्षा का भार अपने सुदृढ़ कंधों पर ले ।
रक्षाबंधन के दिन प्रत्येक भारतीय बहन अपने भाई की कलाई में ‘रक्षासूत्र’ यानी राखी बाँधकर मानो पुन: स्मरण दिला देती है कि बहन की रक्षा का गुरुतर भार भाई को उठाना है । कच्चे सूत के दो नन्हे से धागे बहन-भाई को दृढ़ता से स्नेह-बंधन में बांध देते हैं ।
रक्षाबंधन का यह त्योहार इस रूप में अनोखा है । आज भी प्रत्येक हिंदू भारतीय के हृदय में अपनी बहन द्वारा बाँधी हुई राखी का उतना ही महत्त्व और आदर है जितना कि प्राचीन काल में था । रक्षाबंधन के दिन पंडित-पुरोहित अपने यजमानों के घर जाते हैं और पवित्र मंत्रों का उच्चारण करते हुए उनकी कलाई में ‘रक्षासूत्र’ बाँधते हैं ।
यजमान ब्राह्मण को दक्षिणा आदि देकर सम्मानित करते हैं । रक्षाबंधन के दिन प्रत्येक हिंदू बहन अपने भाई को राखी बाँधती है । प्रातःकाल स्नान करके एक स्वच्छ स्थान पर शुभ चौक पूरा जाता है । इसी चौक पर बहन भाई को बैठाकर राखी बाँधती है ।
रक्षाबंधन के अवसर पर प्रत्येक बहन अपने भाई के मस्तक पर कुंकुम-अक्षत से रोचना करती है और मिठाई खिलाकर उसकी दीर्घायु की मंगल-कामना करती है । भाई भी अपनी सामर्थ्य के अनुसार बहन को स्नेह-उपहार भेंट करके अपने पावन स्नेह का परिचय देता है ।
जिन बहनों के सहोदर भाई नहीं होते, वे भी रक्षाबंधन के दिन नाते-रिश्ते के भाइयों को ‘रक्षासूत्र’ बाँधकर अपनी रक्षा का भार उन्हें सौंपने में संकोच नहीं करतीं और भाई भी इस भार को सहर्ष स्वीकार करते हैं । रक्षाबंधन के अवसर पर जिन बहनों के भाई विदेश में होते हैं, उनको भी राखी, अक्षत तथा कुंकुम आदि भेजकर बहनें अपने स्नेह का परिचय देती हैं ।
सामाजिक सौहार्द की दृष्टि से राखी का त्योहार बहुत उपयोगी है । यह त्योहार भाई-बहन को अटूट स्नेह-बंधन में बाँधे रखने में समर्थ है । रक्षाबंधन प्रत्येक भाई को अपने कर्तव्य और रक्षा-भार को वहन करने की प्रेरणा देता है । यह ऐसा सामाजिक त्योहार है, जो युवक-युवतियों को कुमार्गगामी होने से बचाता है ।
उनके हृदय के दूषित मनोविकारों को नष्ट करने में सहायक होता है । जब एक भारताय स्त्री किसी भी पुरुष को रक्षासूत्र बाँधकर उसे अपना भाई बना लेती है तब वह पुरुष जन्म-जन्मांतर तक उस राखी की मर्यादा को बनाए रखता है और उसे सदैव कुदृष्टि से बचाता है। इस रूप में रक्षाबंधन का अपना एक विशेष महत्त्व है ।

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