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Essay on Raksha Bandhan in Hindi

रक्षाबंधन पर निबंध 
raksha bandhan 2018

भारत एक विशाल देश है । यहाँ विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों व संप्रदायों के लोग निवास करते हैं । इनसे जुड़े हुए अनेक पर्व-त्योहार समय-समय पर होते हैं जो जीवन में रसता नवीनता एवं उत्साह का सचार करते हैं ।
रक्षाबधन हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो परस्पर प्रेम सौहार्द पवित्रता एव उल्लास का परिचायक है । मूलत: यह त्योहार भाई-बहन के संबंधों को और भी प्रगाढ़ता प्रदान करता है । रक्षाबंधन का त्योहार कब और कैसे आरंभ हुआ, इस संबंध में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता ।

प्राचीन कथा के अनुसार देव-दानवों के मध्य एक बार भयंकर युद्‌ध हुआ और देवगण पराजित होने लगे । तब देवराज ईद्र की पत्नी शचि ने पति की विजयकामना हेतु उन्हें रक्षा-सूत्र बाँधकर संग्राम में भेजा । फलस्वरूप इंद्र ने विजयश्री का वरण किया । इसी दिन से रक्षाबंधन का पर्व मनाने की प्रथा का आरंभ हुआ ।
यह त्योहार हिंदू तिथि के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा कृए दिन मनाया जाता है । इस दिन बहनें अपने भाइयों के हाथ में रक्षा-सूत्र अर्थात् राखी बाँधती हैं तथा उनकी दीर्घायु के लिए मंगल कामना करती हैं । वहीं भाई जीवन पर्यंत बहन की रक्षा का संकल्प लेता है । इस प्रकार यह त्योहार भाई-बहन के परस्पर संबंधों की प्रगाढ़ता को दर्शाने वाला एक दिव्य, अनुपम एवं श्रेष्ठ त्योहार है ।
इस त्योहार का एक ऐतिहासिक महत्व भी है जो मध्यकालीन भारतीय इतिहास के मुगल शासनकाल से संबंधित है । कहा जाता है कि एक बार गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया ।
चित्तौड़ पर आई आकस्मिक विपदा से रानी कर्मवती चिंतित हो गईं और जब उन्हें आत्म सुरक्षा का कोई रास्ता नहीं दिखाई दिया तब उन्होंने हुमायूँ को रक्षा हेतु रक्षासूत्र (राखी) भेजा । उस समय हुमायूँ स्वयं शेरशाह के साथ लड़ाई में उलझा हुआ था परंतु राखी की मर्यादा को कायम रखने के लिए वह कर्मवती की सहायता के लिए आया परंतु तब तक बहुत देर हो चुकी थी । यह ऐतिहासिक घटना निस्संदेह रक्षाबंधन की गरिमा एवं पवित्रता को दर्शाती है ।
धार्मिक दृष्टि से रक्षाबंधन के त्योहार का प्रचलन अत्यंत प्राचीन है । धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने समय-समय पर धरती से अत्याचार व पाप का विनाश करने हेतु अनेक रूपों में जन्म लिया । विष्णुपुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने अपने वामन के अवतार में तत्कालीन अभिमानी परंतु दानी राजा बलि के विनाश हेतु उससे तीन पग धरती को दान स्वरूप माँग लिया था ।

स्वीकृति मिलने पर भगवान वामन ने अपने एक पग सै ही संपूर्ण धरती को नापते हुए बलि को पाताल भेज दिया । इस प्रकार बलि के अत्याचारों से लोगों को मुक्ति प्राप्त हुई । इस धार्मिक घटना की स्मृति में आज भी रक्षाबंधन के दिन ब्राह्‌मण अपने यजमानों से दान प्राप्त करते हैं तथा उनके हाथ में रक्षा-सूत्र बाँधकर नाना प्रकार के आशीर्वाद प्रदान करते हैं ।

रक्षा-सूत्र बाँधते समय इस प्राचीन मंत्र का उच्चारण किया जाता
”येन बद्‌धौ बली राजा, दानवेंद्रो महाबल: ।
तेन तवां प्रतिबध्नामि रक्षे ! मा चल मा चल ।।”
रक्षाबंधन का त्योहार समस्त भारत में पूरे उल्लास व प्रेम के साथ मनाया जाता है । वैसे तो यह प्रमुखत: हिंदुओं का ही त्योहार है परंतु हिंदुओं के अतिरिक्त अन्य धर्मों एवं संप्रदायों के लोग भी इसकी महत्ता को स्वीकार करते हैं । इस दिन बाजारों और दुकानों में चहल-पहल भी देखते ही बनती है । मंदिरों में श्रद्‌धालुओं का ताँता लगा रहा है ।
रक्षाबंधन का त्योहार भारतीय संस्कृति की एक अनुपम धरोहर है जो इसकी विशालता, अपनत्व एवं पवित्रता को दर्शाती है । भावनात्मक एवं सांस्कृतिक रूप से मनुष्य को मनुष्य से जोड़ने के लिए यह त्योहार अद्‌वितीय भूमिका अदा करता है ।

2 comments:

  1. सोनल जी आपने रक्षा बंधन शायरी पर अच्छी जानकारियां दी है. आपको भी रक्षा बंधन की शुभ कामनाएं.

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  2. Wonderful article.

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